जन्नत की आस

jannat

Jannat ki Aas (जन्नत की आस) – by Sailee Brahme

हर मुल्क में, हर सदी में
हर शक्स जन्नत पाने की आस लगाए बैठा है

वह जन्नत,
जहाँ शांती है और खुशहाली भी

जहां इंसानीयत और ईमान बिकते नहीं

पर वह हासिल करने में
हर कोई यह क्यों भूल जाता है

की धर्ती पर ही जन्नत है,
और जहन्नुम भी

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